Tuesday, June 25, 2013

Madhoshi मदहोशी








जी करता है , मैं मदहोश ही रहूँ
तू याद बहुत आती है , होश आने के बाद !

क्या फलसफ़ा है , क्या माज़रा है,
शायद समझना नहीं चाहता ये दिल, तुझमे डूब जाने के बाद!
जी करता है ......

दिन तिल सा रातें पल की, के किस नशे मे हूँ ,
अब आने लगा है मज़ा ,खुद को भूल जाने के बाद!
जी करता है ......

ना जन्नत की चाहत , न जहन्नुम का डर
 अब पा ली  है जन्नत मैंने  , मयखाने मे आने के बाद!
जी करता है ......

उनसे अब इतना ही इत्फ़ाक रह गया है
वो बेहोशी मे याद करती है, मैं होश आने के बाद!
जी करता है ...... 


pic courtesy: thewallpapers.com

Wednesday, June 5, 2013

गुज़रा ज़माना گزرا ہوا زمانہ

भोर होते मुर्गी का बांग लगाना
अम्मा का फूँक-फूँक कर चूल्हा सुलगाना,
और उसके धुंवे मे से आती भिनि महक
सुबह की चाय के साथ पी जाना
बड़ा याद आता है वो गुज़रा ज़माना !

गलियारे से वो भैंसों के झुंड का आना
मुरारी की हज़ामत का रुक जाना
पंडित जी का धोती सम्हालना
हर एक चाय की फरमाइश में
अम्मा का ताऊ पे गुस्साना
बड़ा याद आता है वो गुज़रा ज़माना!

खेतों की मेड़ों पर दौड़ लगाना
स्कूल न जाकर, खेतों में छुप जाना
दलदल में फसकर ,कोई बचाओ चिल्लाना
हाथ मिले तो ,उन्हे गिराना !
बड़ा याद आता है वो गुज़रा ज़माना !

बौर के आते ही बगीचे पार डेरा लगाना
आम अमरूद जामुन और संतरे चुराना
चुरा के खाने कुछ और मजा है !
ऐसा कह यूं चुटकी लगाना! और
पकड़े गए तो दोस्तों का मुझे बचाना
बड़ा याद आता है वो गुज़रा ज़माना !

भरी दोपहरी बीहड़ मे घूमना,
थककर पेड़ की छाँव में सो जाना 
दरिया पार करने पर, एक आम की शर्त लगाना
हर गलती मे एक फरलांग दौड़ लगाना
बड़ा याद आता है वो गुज़रा ज़माना !!