Tuesday, June 25, 2013

Madhoshi मदहोशी








जी करता है , मैं मदहोश ही रहूँ
तू याद बहुत आती है , होश आने के बाद !

क्या फलसफ़ा है , क्या माज़रा है,
शायद समझना नहीं चाहता ये दिल, तुझमे डूब जाने के बाद!
जी करता है ......

दिन तिल सा रातें पल की, के किस नशे मे हूँ ,
अब आने लगा है मज़ा ,खुद को भूल जाने के बाद!
जी करता है ......

ना जन्नत की चाहत , न जहन्नुम का डर
 अब पा ली  है जन्नत मैंने  , मयखाने मे आने के बाद!
जी करता है ......

उनसे अब इतना ही इत्फ़ाक रह गया है
वो बेहोशी मे याद करती है, मैं होश आने के बाद!
जी करता है ...... 


pic courtesy: thewallpapers.com

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