मेरे बचपन की गलियां
गलियों में यूँ दौड़ लगाना
बड़े बूढों की गाली खाना
ईठल के मचल के उन्हें चिढाना
दोपहरी में उन्हें सताना
बड़ा याद आता है वो बचपन का ज़माना !
पेड़ में बैठकर घोसलों को ताकना
आसमान की ओर तानकर चिड़ियों को यूँ मार गिरना
भूख लगे जो बन में ,तो उनके अंडे फोड़ के खाना
बड़ा याद आता है वो बचपन का ज़माना !
भोर हुए तो नदी ताल में , दौड़ दौड़कर डूबकी लगाना
जब आये स्कूल की बारी जाकर झड़ी में छुप जाना
बड़ा याद आता है वो बचपन का ज़माना !
Theme: Everyone has a childhood and I suppose everyone enjoys it. when we grow up it's just memoirs. Here is an epigram of my childhood.
pic source:http://www.4to40.com
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