Thursday, March 14, 2013

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झूम के मस्ती में हसिंये न यार 
कि, सुर्ख होंठो से  हंसी चुरा लेते  है लोग !

दिल में हो दर्द गर, सीने में हो जलन
बेशक अपने जख्म दिखाओ न यार
कि, जख्म देखते ही नमक चिढ़क  जाते  है लोग !

और आ गए आंसू जो तालीफ़ के,
नमकीन पानी में से नमक चुरा  लेते है लोग !

प्यासों की कमी नहीं दुनिया में,
बुझाने प्यास, समंदर के पास आ जाते है लोग !

इतनी  रात जरा सम्बह्ल कर निकालिए
कि, चमकते चाँद से रौशनी चुरा लेते है लोग !

ऐसे न महाकिये गुलाबों सा ऐ गुलबदन
बड़ी शराफत से खूशबू  चुरा लेते है लोग !

इतनी  शिद्दत से न देखिये इस जहाँ को
कि, पलके झुकाते काजल चुरा लेते है लोग !

बेवक्त,बेमौका, बेवजह ! जरा सी बात पे,
यूँ ही दिल चुरा लेते  है लोग !

अक्सर शरीफ़ से नज़र आते,
सीने में खोंजर भोंक जाते है लोग ! 

Theme: A poem on the charm , the blush and laugh of a pretty woman and it's consequences.
pic source: Imagebazaar.com

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