झूम के मस्ती में हसिंये न यार
कि, सुर्ख होंठो से हंसी चुरा लेते है लोग !
दिल में हो दर्द गर, सीने में हो जलन
बेशक अपने जख्म दिखाओ न यार
कि, जख्म देखते ही नमक चिढ़क जाते है लोग !
और आ गए आंसू जो तालीफ़ के,
नमकीन पानी में से नमक चुरा लेते है लोग !
प्यासों की कमी नहीं दुनिया में,
बुझाने प्यास, समंदर के पास आ जाते है लोग !
इतनी रात जरा सम्बह्ल कर निकालिए
कि, चमकते चाँद से रौशनी चुरा लेते है लोग !
ऐसे न महाकिये गुलाबों सा ऐ गुलबदन
बड़ी शराफत से खूशबू चुरा लेते है लोग !
इतनी शिद्दत से न देखिये इस जहाँ को
कि, पलके झुकाते काजल चुरा लेते है लोग !
बेवक्त,बेमौका, बेवजह ! जरा सी बात पे,
यूँ ही दिल चुरा लेते है लोग !
अक्सर शरीफ़ से नज़र आते,
सीने में खोंजर भोंक जाते है लोग !
Theme: A poem on the charm , the blush and laugh of a pretty woman and it's consequences.
pic source: Imagebazaar.com
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