हर शक्श ऐसा ही क्यूँ करता है ?
जो आसाँ है वो नहीं,
वो नामुम्किन के पीछे पड़ता है !
जो करना है वो नहीं ,
बेवजह इस जहाँ के तक्क्लुफ़ में पड़ता है !
छोटी छोटी चाहतों के लिए जूझता है
अपना आशियाँ ढूंढते ढूंढते इस जहाँ से लड़ता है !
नहीं मालूम के कब उसे मुक्कम्मल जहाँ हासिल होगा
कब हर पल हर शाम हर मौसम उसकी तासीर की होगी !
ज़िन्दगी भर साँसे खोता रहता है
मरने पर चंद लम्हों के लिए रोता है !
मुहाफ़िज़ भी क्या बचा पाए
आखिर तो,दो ग़ज जमीं और लम्बी नींद दस्तेयाब होती है !
Theme: In Search of Motive of Life- Experience's!!
Pic Source :jestomaniac's blog
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