मेरी रहने दे, आज कुछ अपनी सुना!!
हसने की आदत रही है सदियों से
किस्मत तू आज मायूस क्यों खड़ी है
आज ज़रा, मेरा दिल और दुखा !!
किसी की निगाहों से पी थी
शराब ऐसी की उतरती नहीं
बहोत दिन हुए, ज़िन्दगी
कुछ गम ए शब् तो पिला !!
मुक्कद्दर की क्या कहूँ बहोत ऊँचा उठा हूँ
मेरे तबियत की तलब कहती रही
एक बार, आज मुझको फिर गीरा !!
मदमस्त थे अपनी कहकहों में
परस्त थे आस्तीन के दोस्तों में
बात बात पर लड़ने वाला,
कोई दोस्त तो दिला !!
हुआ मश्हूर हमारा नाम
शहर में होकर बदनाम
चंद चमकते कपडे शराफ़त के
पहनकर,कोई शरीफ़ कहाँ होगा
रिंधों की दुआ शायद, दे मुझे शरीफ बना !!
देने वाले दिया करते थे नसीहत बेबाक
इल्म न था उस जहाँ का
अब जीने के लिए, कोई तो दे मशवरा !!
एक रात हुई थी चोरी मेरे अरमानो की
आज महफ़िल है मौका भी और सामान भी
ओ फ़रिश्ते! चुराना ही है तो मेरी जान चुरा !!
खानाबदोश हो दर दर भटके
माय्खार को कोई तो जगह दे
हर सांस अब कहती है ये,
कोई तो दे आराम दिला !!
मेरे गुरूर का सुरूर अभी उतरा है
मेरे दोस्त! ये शाम अब कैसे गुजरे
रूह तलबगार हुई है ! आज रूहानी पैमाने की
कोई तो दे मुझे आज पिला !!
Pic: uproxx.com
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