Thursday, November 14, 2013

Mr. Aashiq (Persy aur Gaba)


सुबह सुबह जब, वो ऑफिस आती
कहती क्या हीरो क्या हाल है ?
बाबू कहते ओ रंगीली
वही चमड़ी वही खाल  है !

ऐसी  बातों से वो झेंप सी जाती
तीखी नजरों से फिर मुझे चिढ़ाती !
मेंढको सी चाल तुम्हारी
बॉडी के कंकाल तुम्हारी?

रँगीले की सफाई तो देखो
सर पे हाथ फिराई तो देखो !
जिम जाना है जंजाल
ज़ीरो फ़िगर का फैशन है यार
इसलिए मेरी बॉडी नहीं है ! है कंकाल

 सुबह सुबह हीरो क्यू बनते हो
अरे विवेक ओबेराय कौन सा मंजन घिसते हो?
चलो दिल नहीं दाँत पसंद आया
हमने इसे विक्कों वज्रदंती से चमकाया

ऑफिस की गलियारों मे बड़े शान से चलते हो
बाते करते फोन पर दिन भर
क्या कॉल सेंटर चलाते हो ?

फोन तो बहाना है
चिड़िया मुझे फसाना है !

ओह! तो इसलिए अंग्रेजी झाड़ते रहते हो

बालकनी खड़े हो मुझे ताड़ते रहते हो ?
 
जिन जिन को काम नहीं है
वो मुझे ताड़ते रहते है!
और मैं उन्हे ताड़ता रहता  हूँ !!

आगे कहते!! ये नैन सुख है
कुछ उनका, कुछ हमारा सुख है
ऐसे ही हम आँखों से बाते करते है
नारी की सुंदरता की !!
हम  बड़ी प्रशंशा करते है!!

Pic: culut.com
Dedicated to our freind Prashant (Persy) ...he's not zac efron but nothing less !!

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