पहले पहल जब तेरी गोदी में, मैं आँखें खोला था माँ
पहले पहल जब तेरी गोदी में, खिल खिलाके रोया था माँ
पहले पहल जब तेरी गोदी में, मैं सुकूं से सोया था माँ
पहले पहल जब तेरी गोदी में,
‘जब निशब्द से - मैं शब्दों से खेला था माँ ’
‘जब निशब्द से - मैं शब्दों से खेला था माँ ’
महामंत्र जो मुह से फुटा , पहला अक्षर वो था माँ !
तू जैसी है-मैं जैसा हूँ , तू मेरी-मैं तेरा माँ!!
आज तरसता है जी मेरा, जीलूँ मैं उस पल-पल को माँ
आज मचलता है जी मेरा, फिर खेलूँ उस गोद में माँ
फिर फैलादे आँचल तेरा के, मैं सुकूँ से जाऊं माँ
तू जैसी है-मैं जैसा हूँ, तू मेरी-मैं तेरा माँ !!
अपने अहैतुकी प्रेम से ,मुझको गद्गद करदे माँ
जीवन के इस चरम पन्त में, फिर से आश्रय देदे माँ
तू जैसी है-मैं जैसा हूँ , तू मेरी-मैं तेरा माँ !!
Theme:Mother the word is sufficient. A rhyme dedicated to mother.
pic: photobucket
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