Friday, July 5, 2013

Bus Stop





मिस्टर आशिक़ को आजकल
बड़ी हड़बड़ी होती है ,
सजते धजते, आयरन करते
टाई लगाके सेंट छिड़कते,
लैपटाप का बैग लटका
सिग्नल को फुर्ती से चलते!
हमने पूछा ! क्यूँ  भाई
सुबह ऑफिस जाने में आजकल
तुम्हारी बड़ी दिलचस्पी है !!

कहते यार उसकी एक झलक
पाने की ये सारी तैयारी है !
जब वो सामने से आती है,
मंद मंद मुसकाती है
हवाओं में एक ,
महकता सुरूर छोड़ जाती है!
हाय ! आजकल  ऑफिस जाने में
इक अलग लगन लग जाती है !!

वो अपनी आँखों से कहती,
हम उनकी आँखों को पढ़ते,
सुबह सुबह स्टैंड में, खड़े हो
बे बात लड़ाई करते रहते!
हमे थोड़ा-उन्हे थोड़ा , शायद !
ये नोंक झोंक भा जाती है !!
हाय ....

वो कहती -
क्या ताड़ते रहते मुझको?
असल बात न कहते मुझको ?
इतने में काली घटा छा जाती है,
और बारिश हो जाती है!
हिन्दी  फिल्मों की क्लाइमैक्स वाली सिचुएशन हो जाती है !
कुदरत की यह अनोखी अदा, हमें बड़ी रास आती है !!!
हाय.....

वो आधी भीगी,आधे भीगे हम
ऐसे में उनकी छत्री फस जाती
और गुस्से से, वो झुँझला जाती है!
भीगे बाल और उनका गुस्सा
चेहरे पे चार चाँद लागतें है!!
हाय ......

 ठीक उसी पल, भगदड़ सी मच जाती है
बस आ गयी, ये बात हमें समझ आती है
अगले दिन मिलने तमन्ना लेकर
वो चुपके से बस में चढ़ जाती है!!
हाय .......

दोनों अपनी बस पकड़ते
अपने अपने  काम पे चलते
कैसी है ??
इक पल में प्यास बुझती है,
इक पल में प्यास जगाती है!
हाय ! आजकल ऑफिस जाने में
इक अलग लगन लग जाती है !!!
Pic: by OP
Dedication to my friends , foes and every being having fun in every day traveling...