Tuesday, December 25, 2012

रात night رات












हाथों में कलम और किताब लिए बैठे है
बड़ी तनहा सी रात होती है !

चारों तरफ सन्नाटे गूंजते रहते है
बस कुत्तों की ही आवाज़ होती है !

मद्धम सी सर्द हवा जब,पैरों को छु जाती,
और तेरे साथ होने की गर्माहट मुझे  याद आती!!

कुछ लिखने को सोचता हूँ गर,
बरबस तू ही क्यूँ सामने आ जाती है!

दिन युहीं सोचते सोचते गुजर जाता है,
और रात ऐसे फ़नाह  हो जाती है !!!

Theme: Night and its Emptiness.
Pic Source : deviantart.com

Sunday, December 23, 2012

Mind मन اد رکھنا


मानव  मन  के  भिन्न रंग है
हर  के  अन्दर  उठे  तरंग है
मन  तरंग  में  आज  द्वंद्व  है
येही  वो  मन  जो  करे  विध्वंश  है !

जब हो  प्रिये  के  साथ
है  अनुरागी  मेरा  मन
हो  तल्लीन  जब  भाव  में 
निर्विकार  सा है  मेरा  मन
माँ  के  अंचल  में  छूप  जाता
है  निश्चल  सा  मेरा  मन !

और  गरिमा  से  उठता  ये
जब  देश  धर्म  की  बात  हो
है  तरल  सा, बने  लौह  सा                                           
जब  अड़चन  की  रात  हो !                                           
                                                                                   
कभी  सकुचाता  कभी  घबराता 
स्नेहित  हो  प्रेम  दिखाता
तुलना  में  ना  कम  किसी  से
प्रज्ञा  को  भी  मात  दे  जाता
है  चोरो  को  सरताज  तू !

करे  स्वतंत्र  चिंतन  की  बांते
सबसे  बड़ा  है  निंदक  तू
कभी  लाल्स्मय  कभी  लालायित
कभी  अग्नि  सा  उद्वेग   तू !

कभी व्यभिचारी  कभी  अहंकारी
कभी  निराकारी  और  कभी  निसंग  तू
 कितना  करे  बखान  विनय  अब
ढल  गयी  पूरी  शाम  यूँ !

है  अनंत  इस  मन  की  शक्ति ..
कैसे  इसका  ज्ञान  हो
करो  सको  तो  वश  में  कर लो
गर  मानव  की  जात  हो!

Theme: Human Mind.World is not controlled by any one it's a wonderful, dreadful mind.poem describes the mask man  MIND
pic source:http://beforeitsnews.com

Sunday, December 16, 2012

jhooti झूठी جھوٹا





कभी मुस्कुरा के चहक के इकरार करती
कभी शाइस्ते से इनकार करती !
 कभी कभी युहीं इश्क  जताती
आप दिखाओ तो रूठ सी जाती !!

कभी  कहती  हम तो बस सफ़र में है
हमसफ़रों की मंजिल एक नहीं होती
मैं मॉडर्न सी जीन्स वाली
तुम कहाँ के कुरता धोती !!

शायद वो असमंजस में है
वो खुद को मना नहीं पा रही
अभी अभी तो किसी ने दिल उसका तोडा था
उसे भटकती राहों में अकेला सा छोड़ा था

सो वो कैसे किसी से दिल जोड़ पाती
खिलती कली को, जैसे छूने  से
वो खिल नहीं पाती,और कुम्हला सी जाती


शायद मैं  ही शैदाई था
उसे समझ नहीं पाया था
जनाना तंजीम की रुकून से 
शायद उसने कभी  फ़रमाया था !! झूठी


Theme: conversation in course of Love
pic source : fanpop.com




Friday, December 14, 2012

yaad याद ياض




कल फिर हमने तुम्हे देखा तस्वीर में !
जो बातें की थी उन्हें याद किया
एहसास हुआ के ,कुछ ख़ास पलों
को जैसे हमने खो दिया,
सारा कुछ वहम ,सच  था या सपना ?
जो भी सदाएं बाकी रही, उन्हें  धुंवा सा रहने दिया !

अब न घनघनाती मेरे फ़ोन की आवाज
आधी रात, और उसमे से आती
दिल को तस्सल्ली देती आवाज !
शायद आदत सी हो गई गई थी कानों को !
अलार्म सुनते भी तो, ऐसा लगता था शायद
के वो हैं ! कैसे कहें ,किस्से कहें
के आजकल बातें करना भी छोड़ दिया!
जो भी सदाएं बाकी रही, उन्हें  धुंवा सा रहने दिया  !!

कहीं पढ़ा था- ज़िन्दगी दरिया  सा रखो और बहते चलो !
लगा की मेरा ही सुरूर था, आँखों में गुरुर था
मेरा ही कसूर था,मोहब्बत न थी ,तकरार था 
शायद जरुरत थी  वो , ना प्यार  था
मियाँ ,ऐसे अपने जेहन को हमने साफ़ कर लिया !
जो भी सदाएं बाकी रही, उन्हें  धुंवा सा रहने दिया !!!


Theme: An allegy for the death of love and recovering from breakup
pic source: cityyouth blog


Friday, December 7, 2012

Love मुहब्बत عشق





कल फिर हमने तेरा इंतज़ार किया
हर पल को सदियों सा पार किया

एक परवाज़ सुनाई देती रही हर सूं
हमने बंद होठों से से ही तुम्हे पुकार लिया

मिन्नतें मांगे किस्से, मेरा खुदा तो रूठा है!
किसी की तस्वीर को रूह कर  फ़रियाद किया

उनसे मिलने की तम्मन्ना इतनी थी
हमें संवर संवर के अपने को तैयार किया

आइना भी हंसता  होगा शायद
हमने आईने से सौ-सौ सवाल किया

उनसे मिलने की चाहत में शायद आज
हमने खुद से कई-कई बार प्यार किया

न जगा न सोया न पाया न खोया
हर पल हर मंजर को पन्नों में श्याह किया

मैं  कोई हयात्त नहीं के  सबसे मोहब्बत करूँ
आज महसूस हुआ एक इंसाँ हूँ
हाँ आज मैंने! फिर  तुमसे प्यार किया!!



Pic source: forangelsonly.org

Wednesday, December 5, 2012

sharad purnima शरद पूर्णिमा


इस शरद में मैंने था सोचा  
खूब धूम मचाऊंगी

 घी मावे मिष्ठान से
मैं पीयूष पायस बनाउंगी

बनी पायस चांदनी में रखकर
प्रेम से उसे छलनी से ढ़ककर
चन्द्र रश्मियों से उसे सजाऊँगी

नाचूंगी, झूमुंगी और गाऊँगी
संग उसके रास रचाऊँगी

आश्विन इस मॉस में अब
पारस  सी इन शशि किरणों में
मैं सखियों  संग नहाउंगी

पर इस बैरी बदरा  को देखो
क्यूँ आज आँगन में डाले डेरा है

सजा है घर अंगना और परछी
जैसे रंगोली का मेला है

बन बैठी मैं वृषभान लली , सुन
श्री गोपीचन्द्र आने वाले है

सजी लगाकर अंखियों 'में अंजन
पाऊं मनभावन मैं दर्शन !

बाहर बदरा अब छट गए सारे
अब मन बदरा ने घेरा है

दर्शन कौतूक   मोहे छाई ऐसे
करूं अब मै प्रीतम का अर्जन कैसे

Theme : According to hindu religion on the sharad poornima or kojoogari poornima a full moon day. The Moon through its beams showers amrit or elixir of life on earth.
On Sharad Purnima, girls wake up early, take a bath, wear new garments and offer food to the Sun God. They observe fast throughout the day and in the evening, when the moon rises, they again make special offerings, this time to the moon. They consume this offered food after the rituals are over. For girls, it is a festival to rejoice, dance and sing special songs.
A poem dedicated to this occasion.

pic source:http://www.ganeshaspeaks.com