Friday, December 14, 2012

yaad याद ياض




कल फिर हमने तुम्हे देखा तस्वीर में !
जो बातें की थी उन्हें याद किया
एहसास हुआ के ,कुछ ख़ास पलों
को जैसे हमने खो दिया,
सारा कुछ वहम ,सच  था या सपना ?
जो भी सदाएं बाकी रही, उन्हें  धुंवा सा रहने दिया !

अब न घनघनाती मेरे फ़ोन की आवाज
आधी रात, और उसमे से आती
दिल को तस्सल्ली देती आवाज !
शायद आदत सी हो गई गई थी कानों को !
अलार्म सुनते भी तो, ऐसा लगता था शायद
के वो हैं ! कैसे कहें ,किस्से कहें
के आजकल बातें करना भी छोड़ दिया!
जो भी सदाएं बाकी रही, उन्हें  धुंवा सा रहने दिया  !!

कहीं पढ़ा था- ज़िन्दगी दरिया  सा रखो और बहते चलो !
लगा की मेरा ही सुरूर था, आँखों में गुरुर था
मेरा ही कसूर था,मोहब्बत न थी ,तकरार था 
शायद जरुरत थी  वो , ना प्यार  था
मियाँ ,ऐसे अपने जेहन को हमने साफ़ कर लिया !
जो भी सदाएं बाकी रही, उन्हें  धुंवा सा रहने दिया !!!


Theme: An allegy for the death of love and recovering from breakup
pic source: cityyouth blog


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