कभी मुस्कुरा के चहक के इकरार करती
कभी शाइस्ते से इनकार करती !
कभी कभी युहीं इश्क जताती
आप दिखाओ तो रूठ सी जाती !!
कभी कहती हम तो बस सफ़र में है
हमसफ़रों की मंजिल एक नहीं होती
मैं मॉडर्न सी जीन्स वाली
तुम कहाँ के कुरता धोती !!
शायद वो असमंजस में है
वो खुद को मना नहीं पा रही
अभी अभी तो किसी ने दिल उसका तोडा था
उसे भटकती राहों में अकेला सा छोड़ा था
सो वो कैसे किसी से दिल जोड़ पाती
खिलती कली को, जैसे छूने से
वो खिल नहीं पाती,और कुम्हला सी जाती
शायद मैं ही शैदाई था
उसे समझ नहीं पाया था
जनाना तंजीम की रुकून से
शायद उसने कभी फ़रमाया था !! झूठी
वो खुद को मना नहीं पा रही
अभी अभी तो किसी ने दिल उसका तोडा था
उसे भटकती राहों में अकेला सा छोड़ा था
सो वो कैसे किसी से दिल जोड़ पाती
खिलती कली को, जैसे छूने से
वो खिल नहीं पाती,और कुम्हला सी जाती
शायद मैं ही शैदाई था
उसे समझ नहीं पाया था
जनाना तंजीम की रुकून से
शायद उसने कभी फ़रमाया था !! झूठी
Theme: conversation in course of Love
pic source : fanpop.com
Bohut Badiyan Sir Ji :)
ReplyDeleteRegards,
Jahid
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Thanks! jahid
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