हाथों में कलम और किताब लिए बैठे है
बड़ी तनहा सी रात होती है !
चारों तरफ सन्नाटे गूंजते रहते है
बस कुत्तों की ही आवाज़ होती है !
मद्धम सी सर्द हवा जब,पैरों को छु जाती,
और तेरे साथ होने की गर्माहट मुझे याद आती!!
कुछ लिखने को सोचता हूँ गर,
बरबस तू ही क्यूँ सामने आ जाती है!
दिन युहीं सोचते सोचते गुजर जाता है,
और रात ऐसे फ़नाह हो जाती है !!!
Theme: Night and its Emptiness.
Pic Source : deviantart.com
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