Friday, April 5, 2013

Life जीवन زندگی


हर शक्श ऐसा ही क्यूँ करता है ?
जो आसाँ है वो नहीं,
वो नामुम्किन के पीछे पड़ता है !

जो करना है वो नहीं ,
बेवजह इस जहाँ के तक्क्लुफ़ में पड़ता है !

छोटी छोटी चाहतों के लिए जूझता  है 
अपना आशियाँ ढूंढते ढूंढते इस जहाँ से लड़ता है !

नहीं मालूम के कब उसे मुक्कम्मल जहाँ हासिल होगा 
कब हर पल हर शाम हर मौसम उसकी तासीर की होगी !

ज़िन्दगी भर साँसे खोता रहता है 
मरने  पर चंद लम्हों के लिए रोता है !

मुहाफ़िज़ भी क्या बचा पाए 
आखिर तो,दो  ग़ज जमीं और लम्बी नींद दस्तेयाब होती  है !

Theme: In Search of Motive of Life- Experience's!!
Pic Source :jestomaniac's blog

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